बिक गया है जो चंद सिक्कों में उसमें हम क्या जमीर ढूंढेंगे

photo ak
फोटो अखिलेश कुमार

क्या फकीर ढूंढेंगे

-चांद शेरी-

chand sheri
चांद शेरी

कोई दाता अमीर ढूंढेंगे
शहर में क्या फकीर ढूंढेंगे

मोतबर रहनुमा नहीं कोई
राह खुद राहगीर ढूंढेंगे

हम नए दौर की किताबों में
खाक तुलसी- कबीर ढूंढेंगे

बिक गया है जो चंद सिक्कों में
उसमें हम क्या जमीर ढूंढेंगे

ये तो शतरंज है सियासत की
गोटियां खुद वजीर ढूढेंगे

पीर अपनी भुला के हम ‘शेरी’
दीन-दुखियों की पीर दूहेंगे.

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments