– विवेक कुमार मिश्र-

सुबह सुबह चलते चलते जहां सूर्य की किरणें इस सर्द हवाओं के बीच राहत पहुंचाती हैं वहीं आसपास इतना कुछ होता है कि आप संसार को, जीवन को समझने का एक दृष्टिकोण पा जाते हैं। एक चिड़िया दिखी जो झुरमुटों के बीच से सौंदर्य की रचना अपने ढ़ंग से कर रही थी। जल और झुरमुट के साथ चिड़िया अपना दाना पानी ले रही है … अपने पथ पर चल रही है कोई शिक़ायत नहीं कि ये है तो ये नहीं है और हम मनुष्यों का सारा जीवन शिकायतों में ही निकल जाता कि क्या है और क्या नहीं है । काश! कुछ प्रकृति से कुछ आसपास से कुछ चिड़िया से सीखते तो इतनी शिकायतें तो नहीं रहती …..
– विवेक कुमार मिश्र
(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)
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काश ! आदमी अपने आसपास से , प्रकृति से कुछ सीखता समझता तो इसकी शिकायतें नहीं रखता ।
बहुत बहुत आभार।