
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को 2 साल पहले जून 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड मामले में पूछताछ के लिए अपने दिल्ली स्थित दफ्तर में बुलाया था। प्रवर्तन निदेशालय ने राहुल गांधी को लंबे समय तक पूछताछ करने के बाद छोड़ दिया था !
क्या प्रवर्तन निदेशालय की राहुल गांधी से पूछताछ करना राहुल गांधी की राजनीतिक छवि में इजाफा करने के लिए बड़ा टर्निंग पॉइंट था ?
यह वह दौर था जब, कांग्रेस केंद्र और अनेक राज्यों में अपनी सत्ता गंवाने के बाद राजनीतिक तौर पर हाशिए पर थी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हताशा और निराशा थी और कुंठित होकर अपने घरों के अंदर बैठे हुए थे।
यह वह दौर था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी लगातार कांग्रेस मुक्त भारत और गांधी परिवार मुक्त कांग्रेस की बात कर रहे थे। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं सहित कांग्रेस छोड़कर अन्य दलों में शामिल हो रहे नेता भी केंद्र और राज्यों में कांग्रेस की सत्ता जाने को लेकर राहुल गांधी पर इसका आरोप लगाते हुए दिखाई दे रहे थे।
मगर 15 जून 2022 को जैसे ही राहुल गांधी प्रवर्तन निदेशालय के फरमान पर उपस्थित होने प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय पर पहुंचे, वैसे ही कुंठित होकर अपने घरों में बैठे कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने नेता राहुल गांधी के लिए सरकार से लड़ाई लड़ने के लिए सड़क पर निकले। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने देश भर में भाजपा सरकार की नीति का जबरदस्त विरोध किया। परिणाम यह निकला की प्रवर्तन निदेशालय ने लंबी पूछताछ के बाद राहुल गांधी को छोड दिया।
इस घटना के बाद कांग्रेस का कार्यकर्ता वापस घर में जाकर नहीं बैठा बल्कि वह राहुल गांधी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी सरकार की नीतियों के खिलाफ मुखर और निडर होकर सड़कों पर संघर्ष करने लगा। जिसका परिणाम यह निकला की देश में कांग्रेस और राहुल गांधी राजनीतिक रूप से मजबूत होते हुए दिखाई देने लगे।
कांग्रेस और राहुल गांधी की मजबूती का ही परिणाम है कि कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी 52 सीटों को बढ़ाकर 99 किया।
1 अगस्त को राहुल गांधी अपने पूर्व निर्वाचन क्षेत्र वायनाड में भारी बारिश के कारण हुई तबाही का जायजा लेने और पीड़ित परिवारों का दर्द साझा करने गए हुए थे, लेकिन अचानक से रात्रि के लगभग 2 बजे राहुल गांधी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय किसी भी समय उनके यहां छापा मार सकता है। राहुल गांधी के इस बयान ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी।
2 अगस्त को राहुल गांधी वायनाड में हादसे में बेघर हुए परिवारों को वापस से बसाने के लिए 100 नए घर बनाने की घोषणा कर रहे थे और ठीक उसी समय इंडिया गठबंधन, राहुल गांधी के अपने प्रवर्तन निदेशालय वाले बयान पर एकजुट होकर इसकी घोर निंदा कर रहा था।
2 साल पहले 2022 में प्रवर्तन निदेशालय की राहुल गांधी से पूछताछ के कारण कांग्रेस का कार्यकर्ता अपने घरों से निकलकर अपने नेता के लिए एकजुट हुआ था और इस बार राहुल गांधी के लिए सारा विपक्ष एकजुट होता हुआ नजर आ रहा है।
सवाल यह है कि क्या भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से राहुल गांधी की राजनीतिक रणनीति में फंसने जा रही है, क्योंकि इस बार प्रवर्तन निदेशालय से पीड़ित नेता और उनके दलों के कार्यकर्ता, भाजपा सरकार और प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ एक साथ सड़कों पर उतरेंगे। इसका नजारा इंडिया गठबंधन के नेताओं के बयानों के बाद देखने को मिल रहा है। इंडिया गठबंधन राहुल गांधी के बयान के बाद एक जुट नजर आया।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है। यह लेखक के निजी विचार हैं)