
-शी जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने से भारत के लिए बढेंगी चुनौतियां
-द ओपिनियन-
चीन के शासन तंत्र पर शी जिनपिंग की पकड़ और मजबूत हो गई है। वह लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बन गए हैं और उनके करीबी व विश्वस्त नेता ली कियांग को चीन का नया प्रधानमंत्री नामित किया गया है। झेजियांग प्रांत के गवर्नर व चीन के दूसरे सबसे बड़े शहर शंघाई के कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख रह चुके कियांग की छवि एक प्रो बिजनेस लीडरी की है और प्रधानमंत्री के रूप में उनकी चीन की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने की अहम भूमिका होगी। जिनपिंग के रूप में चीन को कई दशकों बाद एक ऐसा नेता मिला है जो माओ के बाद इतना ताकतवर बनकर उभरा है। चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के करीब 3000 सदस्यों ने मतदान कर जिनपिंग को राष्ट्रपति चुना। इस प्रकार जिनपिंग ने शुक्रवार को राष्ट्रपति के रूप में अपना तीसरा कार्यकाल शुरू किया। जिनपिंग को केंद्रीय सैन्य आयोग का चेयरमैन भी चुना गया है। वहीं हान झेंग को उप राष्ट्रपति चुना गया है। शी जिनपिंग की सत्ता पर पकड़ असाधारण रूप से मजबूत हुई है क्योंकि उन्हें चीन के पारम्परिक व स्थापित नियमों में बदलावकर तीसरा कार्यकाल दिया गया है।
जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने से एक बात तो साफ है कि उसकी नीतियों में कोई बुनियादी बदलाव आने की उम्मीद कम है। जिनपिंग के राष्ट्रपति के रूप में सत्ता संभालने के बाद भारत चीन के रिश्तों में तनाव बढ़ा है और खटास आई है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन का आक्रामक रूख इसका गवाह है। यही हाल दक्षिण चीन सागर में चीनी रूख को लेकर है। चीन वहां पर भी अपना आक्रामक रूख बनाए हुए है। संभवः है चीन का वहां पर और आक्रामक रूख अपनाए इसलिए भारत के साथ रिश्तों में व्यापक सुधार की उम्मीद कम है। चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान को एक टूल की तरह इस्तेमाल करता रहा है और पाकिस्तान की कमजोर होती माली हालत उसे चीन के हाथ की कठपुतली भी बना सकता है। चीन आंख मूंदकर आतंकवाद पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है। उसने कई बार संयुक्त राष्ट्र में ऐसा किया और पाकिस्तान का बचाव किया। चूंकि जिनपिंग सैन्य आयोग के प्रमुख भी बने रहेंगे इसलिए चीनी सेना पर भी उनका सीधा नियंत्रण रहेगा। चीन की नीति भारत के पड़ौसी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की रही है और तय है यही नीति आगे भी जारी रहेगी। इसलिए भारत के लिए चीनी को लेकर कूटनीतिक,राजनीतिक व सैन्य मोर्चे पर चुनौती बढ़ने के आसार हैं। ताइवान पर भी चीन का रूख और कड़ा होने के आसार हैं। चीन ने हाल ही अपने रक्षा बजट में भारी वृद्धि की है। उसका रक्षा बजट भारत के रक्षा बजट से तीन गुना अधिक है। साफ है कि भारत को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अभी चीनी आक्रामकता के साथ ही रहना होगा और इसके मजबूत जवाब के लिए भारत को आर्थिक व सैन्य रूप से और मजबूत होना होगा।