
-सज गई दिल्लीः कूटनीतिक मेले की हो गई तैयारियां
-द ओपिनियन-
जी-20 शिखर बैठक के आयोजन की तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुंच गई हैं और राजधानी दिल्ली भी दुल्हन की तरह सज गई है और एक अभेद्य किले में तब्दील हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया में भारत आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेकर लौट आए हैं और विदेशी मेहमानों का आने का सिलसिला जारी है। विभिन्न देशों के प्रतिनिधि व वरिष्ठ अधिकारी पहुंच गए हैं और अब राष्ट्राध्यक्ष के आने की बारी है। शुक्रवार को अधिकतर मेहमान आ जाएंगे। जी 20 की यह शिखर बैठक बहुत अहम है क्योंकि इस समूह में शामिल देश दुनिया की जीडीपी में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं। आर्थिक और सामरिक तौर पर यह समूह काफी महत्वपूर्ण और रणनीतिक लिहाज से बेहद काम का है। ऐसे में दुनिया की आर्थिक व सामरिक ताकतें दो दिन दिल्ली में बैठेगी। उनके फैसले दुनिया को प्रभावित करेंगे। लेकिन क्या उम्मीद करें कि यहां से यूक्रेन युद्ध के पटाक्षेप की पटकथा लिखी जा सकेगी जोकि आज की दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। आज यह दुनिया के सामने सबसे बड़ा सवाल है क्योंकि युद्ध के मार्चे से समाचार चिंताजनक ही आ रहे हैं। मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन इसी माह रूस के दौरे पर जाने वाले हैं और रूस को घातक हथियारों की सप्लाई पर चर्चा करेंगे। दूसरी ओर अमेरिका के विदेश मंत्री ब्लिंकन यूक्रेन के दौरे पर हैं, जहां वह यूक्रेन के राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले हैें। चूंकि रूस के राष्ट्रपति शिखर बैठक में नहीं आ रहे हैं, इसलिए बैठक में इस मसले पर कोई सीधी बात होने के आसार नहीं है। चीन के राष्ट्रपति शिखर बैठक में नहीं आ रहे हैं। रूस का प्रतिनिधित्व वहां के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव व चीन का प्रतिनिधित्व वहां के प्रधानमंत्री कियांग करेंगे। इस बैठक की सफलता के लिए चीन का रुख बहुत अहम होगा। इसलिए कूटनीतिक जगत में यह सवाल उठ रहा है कि क्या चीन बैठक में सकारात्मक रुख अपनाएगा या भारत को कूटनीतिक चोट पहुंचान का प्रयास करेगा क्योंकि वह हर मंच पर अपने प्यारे दोस्त पाकिस्तान के लिए भारत को चोट पहुंचाता आया है और भारत व चीन के रिश्ते भी अभी तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलेविन का यह बयान बहुत अहम है कि यह चीन को तय करना है कि वह जी 20 शिखर सम्मेलन में किस तरह की भूमिका निभाता है। सभी 20 सदस्य देशों को रचनात्मक तरीके से एक साथ आना चाहिए। साफ है कि सम्मेलन में चीन की भूमिका पर सभी की नजरें रहेंगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भारत पहुँच रहे हैं। बाइडेन की पत्नी जिल बाइडेन कोरोना की चपेट में आ गई इसके बाजवूद बाइडेन का भारत आना इस बात का संकेत है कि वह इस यात्रा को कितना महत्व दे रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति पुतिन के सामने यूक्रेन युद्ध को लेकर बाध्यताएं हैं, वहीं चीनी राष्ट्रपति ली जिनपिंग के सामने कई सियासी उलझनें हैं। इसलिए इस बात के पहले से ही आसार थे कि इन दो नेताओं का आना तय नहीं है। लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति एमेनुएल मैक्रों व ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक आ रहे हैं। राष्ट्रपति बाइडेन जी20 समिट में हिस्सा लेकर नई दिल्ली से वियतनाम की यात्रा पर रवाना हो जायेंगे । राष्ट्रपति बाइडेन की शुक्रवार को पीएम मोदी के साथ बैठक है और यह मुलाकात बहुत अहम है क्योंकि इसमें दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों को एक नया आयाम मिलने की उम्मीद है।