तस्वीर साफः विपक्ष हुआ अब इंडिया राजग की बढेगी चुनौती

-द ओपिनियन-

अगले लोकसभा चुनाव से पहले कौन किसकी ओर से चुनाव मैदान में उतरेगा यह तस्वीर बहुत कुछ आज साफ हो गई है। राजग के खिलाफ एक बड़े गठबंधन के लिए एकजुट विपक्ष में कौन कौन से दल हैं या होंगे और राजग में कौन कौन से दल होंगे यह भी वस्तुतः आज साफ हो गया है। अब इसमें कोई बहुत बड़ा बदलाव आने वाला नहीं है। विपक्षी दलों की बैठक से आज यह साफ हो गया है कि राजग के खिलाफ विपक्ष के गठबंधन की संभावित धुरी में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू, कांग्रेस, समाजावादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा का शरद पवार नीत गुट और आम आदमी पार्टी प्रमुख हैं और फिर इनके साथ कई छोटी छोटी पार्टियां हैं। तृणमूल कांग्रेस व आम आदमी पार्टी का इस बैठक में आना एकता प्रचासों के लिए एक अहम पड़ाव है। तृणमूल कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के राजनीतिक हित कांग्रेस से टकराते हैं, ऐसे में उनका साथ आना इस बात का संकेत है कि एक व्यापक गठबंधन के लिए एकजुट होने में छोटे छोटे हितों की परित्याग किया जा सकता है।

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विपक्ष के सामने जो सबसे अहम सवाल था, वह यह था कि नए महागठबंधन का नेता कौन होगा जिसकी अगुवाई में पीएम मोदी नीत राजग के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरा जाए। आज की बैठक में विपक्ष ने इस सबसे अहम सवाल को हल कर लिया। सोनिया गांधी नए गठबंधन की अध्यक्ष होंगी और नीतीश कुमार इसके संयोजक होंगे। नाम भी तय हो गया है। इंडिया यानी इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इनक्लूसिव एलायंस। दूसरी ओर राजग में चेहरे पर कोई विवाद नहीं है। वहां तस्वीर साफ है कि पीएम मोदी ही उनके सबसे बड़े चेहरे हैं और वही इस महासंग्राम में राजग की बागडोर संभालेंगे। विपक्ष के पास दो बड़े राजनीतिकि चेहरे सोनिया गांधी और शरद पवार के रूप में है। नरेंद्र मोदी के पीएम बनने से पहले सोनिया गांधी यूपीए को दो बार सत्ता का स्वाद चखा चुकी हैं, लेकिन राहुल के पास पार्टी की बागडोर आने के बाद यूपीए सिर्फ कागजों में ही रह गया। दूसरी ओर शरद पवार हाल में लगे राजनीतिक झटके बाद पहले से कमजोर हुए हैं लेकिन उनको कोई खारिज नहीं कर सकता। उम्र के पड़ाव पर अब दोनों ही नेता सोनिया गांधी और शरद पवार नई पीढी को मार्गदर्शन करने वाले दौर में है। इनके बाद राहुल गांधी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव हैं। इनमें से अखिल भारतीय चेहरा राहुल गांधी ही हैं चाहे उनको कोई स्वीकार करे या खारिज। अन्य जो भी चेहरे हैं, उनके पास अपना जनाधार और संगठन तो हैं लेकिन उनकी अपील उनके राज्यों तक सीमित है। वे अखिल भारतीय स्तर पर वैसी अपील नहीं रखते जैसे पीएम मोदी रखते हैं। लेकिन मजबूत क्षेत्रीय संगठन के बूते पर भाजपा को चुनौती देने का दमखम रखते हैं, इसलिए भाजपा का चिंतित होना स्वाभाविक है और विपक्ष की इस किलबंदी को तोडने के लिए कुनबे के विस्तार के उसके प्रयास बहुत अहम हैं। इस दिशा में भाजपा बहुत सधे हुए कदम उठा रही है। फिलहाल विपक्ष से ज्यादा बड़ा कुनबा भाजपा नीत राजग के पास है।

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