
-आसान नहीं है चुनावी राह
-द ओपिनियन-
भारतीय जनता पार्टी नौ राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले लोेकसभा चुनावों के लिए अपनी व्यूह रचना पर मंथन में जुट गई है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक दिल्ली में शुरू हो गई है। बैठक से पहले भाजपा ने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी का रोड शो कर अपनी सियासी ताकत और लोकप्रियता का संदेश विपक्षी खेमे को देना चाहा और वह उसने दे भी दिया। भाजपा हर काम पूरी रणनीति के तहत करती है। इस साल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यदि सब कुछ ठीक ठाकर रहा तो जम्मू कश्मीर में भी चुनाव हो सकते हैं। इस प्रकार पार्टी की रणनीति इन सभी बातों को ध्यान में रखकर की तय होगी। चुनाव वाले राज्य नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक और जम्मू कश्मीर हैं।

राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हें कि पार्टी प्रस्तावित चुनावों से पहले संगठन और सत्ता का चेहरा भी बदल सकती है। इसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल और संगठन को और अधिक सक्रिय करने के लिए उसमें भी बदलाव किया जा सकता है। लेकिन यह बदलाव पार्टी के अध्यक्ष स्तर पर होने की उम्मीद कम है। चर्चा यही है कि पार्टी जे पी नड्डा को कार्यकाल में विस्तार दे सकती है। बैठक में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। भाजपा अपनी चुनावी तैयारियों पर पहले से ही जुटी है। उसके लिए यह एक सतत प्रक्रिया है। इसके लिए पार्टी नेे 160 लोकसभा सीटें चिह्नित कर रखी हैें जिन्हें वह मुश्किल मानती है। यह वे सीटें हैं जहां पार्टी को पिछले चुनाव में पार्टी को या तो हार का सामना करना पड़ा या वह बहुत कम अंतर से जीती। इसके अलावा पार्टी ने अपने सांसदों को इन चुनाव क्षेत्रों का प्रभार भी अपने सांसदों को सौंप रखा है। बैठक में गुजरात की जीत और हिमाचल प्रदेश की हार पर भी मंथन होगा और जीत के नए सूत्र भी तलाशे जाएंगे। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां पार्टी को अपने अंदर ही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अब देखना है कि कार्यकारिणी की बैठक के बाद ऐसे राज्यों के बारे में क्या सार्थक निकलकर सामने आता है। क्या पार्टी संगठन के स्तर पर नेताओें के बीच चल रही खींचतान को कम करने में कामयाब होती है या नहीं।
बैठक में प्रधानमंत्री के रूप में पीएम मोदी के 9 साल के कार्यकाल की ‘उपलब्धियों‘ पर प्रकाश डाला जाएगा और उसको चुनावी लाभ में बदलने की रणनीति पर भी मंथन होगा। आर्थिक चर्चा के दौरान यह कहा जा सकता है कि जहां दुनिया वैश्विक मंदी से जूझ रही है, वहीं भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है। जी 20 की अध्यक्षता को भी देश की उपलब्धि बताकर चुनाव हित साध जा सकते हैं।