सोरसन को अभ्यारण बनाना ही समाधान !

वर्तमान हालात में सोरसन और उसके आसपास वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों को खनन गतिविधियों से गंभीर खतरा है। उसका सीधा सा समाधान है कि यहां के जंगल को वन्यजीव अभ्यारण घोषित किया जाए। कई वन विशेषज्ञों और वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि सोरसन का प्राकृतिक वातावरण गोडावण के लिए काफी सुविधाजनक है

sorasan godawan
फोटो साभार एएच जैदी

स्वागतम् माननीय मुख्यमंत्री महोदय

गोडावण और श्याम मृगों के लिए प्रसिद्ध सोरसन के जंगल में हालांकि अब गोडावण नहीं है ,लेकिन उच्च तकनीक के कमाल से गोडावण की पुनः वापसी संभव है। राज्य सरकार ने इसी कारण सोरसन में गोडावण प्रजनन केंद्र की घोषणा करते हुए बजट में प्रावधान किया था। यह अच्छा अवसर है कि 3 नवम्बर को मुख्यमंत्री खुद बारां में पधार रहे है तो उम्मीद है कि अपनी घोषणा का उन्हें याद होगा।

सोरसन हाड़ौती का ऐसा जंगल है जहां आसानी से वन्यजीव विचरण करते हुए मिल जाऐंगे जिनमें श्याम मृग तो बहुतायत में है। वन लोमड़ी, सियार अनेक प्रवासी पक्षियों का डेरा यहां के अमलसरा और नियाणा के तालाबों पर लगता हैं। जहां सरकारें अब लुप्तप्रायः वन्यजीवों की प्रजातियों बाघ,चीता आदि को पुनःस्थापित कर रही है तो सवाल वाजिब रूप से उठेगा कि सोरसन में गोडावण के पुनर्वास को लेकर राज्य संरकार गंभीर हो। वर्तमान हालात में सोरसन और उसके आसपास वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों को खनन गतिविधियों से गंभीर खतरा है। उसका सीधा सा समाधान है कि यहां के जंगल को वन्यजीव अभ्यारण घोषित किया जाए। कई वन विशेषज्ञों और वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि सोरसन का प्राकृतिक वातावरण गोडावण के लिए काफी सुविधाजनक है। 1999 में जब अंतिम बार गोडावण दिखाई दिए तभी से उनके पुनर्वास की मांग उठ रही है।

इसके बाद ही हम वन विभाग को सोरसन बचाने के लिए बाध्य कर सकते है। अन्यथा वन विभाग अपनी जिम्मेदारी से तुरंत पल्ला झाड़ लेगा। सोरसन के आसपास होने वाले खनन और गैर वानिकी गतिविधियों पर नियंत्रण करना तभी आसान होगा जब इसे वन अभ्यारण्य बनाया जाए। इससे होने वाल लाभ के रूप में प्रमुख है कि यहां का जंगल ब्रह्माणी माता मंदिर के कारण भी प्रसिद्ध है। धार्मिक और वन्यजीव पर्यटन स्थल के रूप में बारां जिला ही नहीं संपूर्ण राजस्थान में इस स्थान का महत्व बढ़ सकता है जिससे क्षैत्र का आर्थिक विकास भी होना निश्चित है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि बारां आगमन के तहत स्वयं सोरसन का दौरा करें और वस्तुस्थिति खुद जान जाऐंगे।

– बृजेश विजयवर्गीय-

बृजेश विजयवर्गीय

(स्वतंत्र पत्रकार एवं पर्यावरणविद्)

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D K Sharma
D K Sharma
2 years ago

यदि हमारे प्रदेश के कर्णधारों को भगवान सद्बुद्धि दे तो वो पर्यावरण और वन्य जीवों को बचाने की ओर कोई ध्यान देंगे, वरना प्रशासन का काम तो बस ये है कि दीवारों पर लिखवा दे: पेड़ बचाओ , जंगल बचाओ और इसके विपरीत प्राकृतिक संसाधनों का पैसा कमाने के लिए खूब दोहन करे।
सोरसन प्राकृतिक अभ्यारण्य है इसको बचाना आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अच्छा होगा।