-शैलेश पाण्डेय-
किसी भी क्षेत्र में एक पूरी पीढ़ी को अपने कौशल से प्रभावित करना कोई मजाक नहीं है। इसके लिए सेरेना विलियम्स बनना पड़ता है, जिन्होंने अपने बेजोड़ खेल कौशल, समर्पण, मेहनत, लगन और जुझारूपन से 23 एकल ग्रैंड स्लैम खिताब जीत कर इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में नाम दर्ज

कराया है। यूएस ओपन से अपने कॅरियर को अलविदा कहने वाली सेरेना विलियम्स की उपलब्धियां इतनी ही नहीं है। उन्होंने युगल में चार ग्रैण्ड स्लैम खिताब, मिश्रित युगल में दो ग्रैण्ड स्लैम खिताब के अलावा ओलंपिक में चार स्वर्ण पदक जीत कर हर तरह की परिस्थितियों में सफलता के साथ दुनिया भर में अपने खेल कौशल का डंका बजाया। सेरेना ने खुद को बास्केटबाल दिग्गज माइकल जार्डन और गोल्फर टाइगर वुड्स, बॉक्सर मोहम्मद अली जैसे सर्वकालिक महान खिलाडिय़ों के समकक्ष खड़ा किया। धैर्य, जुनून, शानदार दृष्टि और अंत तक हार नहीं मानने का जज्बा सेरेना की सफलता का राज रहा है। खेल प्रेमियों को किसी नई सेरेना के लिए न जाने कितना इंतजार करना होगा। एक बच्ची की मां सेरेना विलियम्स इस माह जीवन के 41 वर्ष पूरे कर लेंगी। टेनिस जैसे प्रोफेशनल खे ल में किसी खिलाड़ी और वह भी किसी महिला का इस उम्र तक खेल पाना ही अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। हालांकि सेरेना ने पहले ही कह दिया था कि यूएस ओपन उनका आखिरी टूर्नामेंट होगा और इस ग्रैण्ड स्लैम के तीसरे दौर में हार के साथ उनका परी कथाओं जैसा सफलता का सफर भी थम गया लेकिन उन्होंने इस खेल से जो कुछ धन दौलत, मान सम्मान अर्जित किया उससे ज्यादा इसे एक प्रेरणा स्त्रोत बनकर लौटाया है। सेरेना ने यूएस ओपन में ही करियर का पहला ग्रैण्ड स्लैम जीता था और वह यहीं 24वां एकल खिताब जीत रिकार्ड की बराबरी करना चाहती थीं लेकिन ऐसा हो नहीं सका। हालांकि सेरेना को कॅरियर के शुरुआती दौर में अपनी बड़ी बहन वीनस के साये से बाहर आने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी लेकिन रिटायरमेंट पर उन्होंने अपनी उसी बड़ी बहन का सबसे ज्यादा आभार जताया। सेरेना ने कहा कि यदि वीनस नहीं होती तो मैं आज जहां हंू वहां कभी नहीं पहुंच सकती थी।
यूएस ओपन के तीसरे दौर के मैच में जब वह प्रतिद्वंद्वी अजला तोम्लजानोविक के खिलाफ मैच के अंतिम क्षणों में कड़ा संघर्ष कर रही थीं तो लोगों के दिमाग में 1998 की स्मृति दौड़ गई। उस समय सेरेना विलियम्स सिर्फ 16 साल की और वल्र्ड रेंकिंग में 96 वें स्थान पर थीं। वह कॅरियर का डब्ल्यूटीए का तीसरा मुख्य ड्रॉ खेल रही थी। सिडनी डब्लयूटीए टूर्नामेंट में क्वालिफाइंग से मुख्य ड्रा में स्थान बनाने वाली सेरेना अपनी प्रतिद्वंद्वी लिंड्से डेवनपोर्ट से मैच में 1-6, 2-5 से पिछड़ी हुई थीं। लेकिन उन्होंने जबर्दस्त संघर्ष क्षमता से यह मैच 1-6, 7-5, 7-5 से जीत लिया। यह सेरेना विलियम्स के करियर में मैच में पहली वापसी थी और इसके बाद के 24 वर्षों में उन्होंने 23 ग्रैंड स्लैम खिताब तक का सफर तय किया। वह 319 सप्ताह तक विश्व की नंबर एक खिलाड़ी रहीं। उन्होंने टेनिस की दुनिया में एकल और युगल दोनों में धाक जमाई। वह टेनिस के खेल के उस स्तर तक पहुंची, जिस तक कोई और महिला खिलाड़ी नहीं पहुंची। इसीलिए तो कहा जाता है कि सेरेना होना आसान नहीं है।